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Pranic healing Psychotherapy

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Pranic Psychotherapy: एक परिचय

प्राणिक साइकोथेरेपी (Pranic Psychotherapy) एक विशिष्ट उपचार विधि है, जो प्राणिक हीलिंग (Pranic Healing) की Extended branch है। यह चिकित्सा प्रणाली मानसिक और भावनात्मक विकारों के उपचार के लिए प्राण (जीवनी शक्ति) का उपयोग करती है। प्राणिक साइकोथेरेपी, जो कि मास्टर चोआ कोक सूई द्वारा विकसित की गई है, मानसिक और भावनात्मक समस्याओं के उपचार में प्रभावी साबित होती है। यह विधि प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों पर आधारित है और इसे आधुनिक समय में एक संपूर्ण उपचार पद्धति के रूप में अपनाया गया है।

प्राणिक साइकोथेरेपी का परिचय

प्राणिक साइकोथेरेपी, प्राणिक हीलिंग का एक विशिष्ट रूप है, जो मन और भावनाओं पर ध्यान केंद्रित करता है। इसमें प्राण (जीवनी शक्ति) का उपयोग करके मानसिक और भावनात्मक समस्याओं का उपचार किया जाता है। प्राणिक साइकोथेरेपी की मदद से मन और शरीर के बीच ऊर्जा के प्रवाह को संतुलित किया जाता है। इसका उद्देश्य मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को बेहतर बनाना है।

प्राणिक साइकोथेरेपी के सिद्धांत

प्राणिक साइकोथेरेपी निम्नलिखित सिद्धांतों पर आधारित है:

  1. ऊर्जा शरीर का सिद्धांत: इस सिद्धांत के अनुसार, हमारे भौतिक शरीर के अलावा एक ऊर्जा शरीर भी होता है, जिसे “प्राण शरीर” या “ऑरा” कहते हैं। यह ऊर्जा शरीर हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
  2. ऊर्जा का प्रवाह: प्राणिक साइकोथेरेपी में यह माना जाता है कि मानसिक और भावनात्मक समस्याएं ऊर्जा के असंतुलन के कारण होती हैं। जब ऊर्जा का प्रवाह बाधित हो जाता है, तो इससे मानसिक और भावनात्मक समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
  3. ऊर्जा की सफाई: प्राणिक साइकोथेरेपी में, थेरापिस्ट प्राण का उपयोग करके ऊर्जा शरीर की सफाई करता है। यह नकारात्मक ऊर्जा और भावनात्मक विषाक्तता को हटाने में मदद करता है।
  4. ऊर्जा की पुनःस्थापना: ऊर्जा शरीर की सफाई के बाद, थेरापिस्ट सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है, जिससे ऊर्जा का प्रवाह संतुलित होता है और मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य में सुधार होता है।

प्राणिक साइकोथेरेपी की प्रक्रिया

प्राणिक साइकोथेरेपी की प्रक्रिया निम्नलिखित चरणों में होती है:

  1. रोगी की स्थिति का मूल्यांकन: सबसे पहले, थेरापिस्ट रोगी की मानसिक और भावनात्मक स्थिति का मूल्यांकन करता है। यह मूल्यांकन थेरापिस्ट को उपचार योजना बनाने में मदद करता है।
  2. ऊर्जा शरीर की स्कैनिंग: इसके बाद, थेरापिस्ट ऊर्जा शरीर की स्कैनिंग करता है। इस प्रक्रिया में थेरापिस्ट हाथों का उपयोग करके ऊर्जा के प्रवाह और असंतुलन का पता लगाता है।
  3. ऊर्जा की सफाई: स्कैनिंग के बाद, थेरापिस्ट ऊर्जा शरीर की सफाई करता है। यह सफाई प्रक्रिया थेरापिस्ट द्वारा ऊर्जा शरीर से नकारात्मक ऊर्जा को हटाने के माध्यम से की जाती है।
  4. ऊर्जा की पुनःस्थापना: सफाई के बाद, थेरापिस्ट सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। यह प्रक्रिया ऊर्जा शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाने में मदद करती है।
  5. ऊर्जा की स्थिरीकरण: अंतिम चरण में, थेरापिस्ट ऊर्जा की स्थिरीकरण करता है, जिससे ऊर्जा का प्रवाह स्थिर और संतुलित रहता है।

प्राणिक साइकोथेरेपी के लाभ

प्राणिक साइकोथेरेपी के अनेक लाभ हैं, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:

  1. तनाव और चिंता में कमी: प्राणिक साइकोथेरेपी तनाव और चिंता को कम करने में सहायक होती है। यह मन को शांत और संतुलित करती है।
  2. भावनात्मक संतुलन: यह चिकित्सा विधि भावनात्मक संतुलन को बहाल करती है और मन की शांति को बढ़ावा देती है।
  3. मानसिक स्पष्टता: प्राणिक साइकोथेरेपी मानसिक स्पष्टता को बढ़ाती है और सोचने की क्षमता में सुधार करती है।
  4. अवसाद में सुधार: यह विधि अवसाद को कम करने में सहायक होती है और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करती है।
  5. आत्मविश्वास में वृद्धि: प्राणिक साइकोथेरेपी आत्मविश्वास को बढ़ाती है और आत्म-सम्मान को सुधारती है।
  6. नींद में सुधार: यह विधि नींद की गुणवत्ता को सुधारती है और अनिद्रा की समस्या को कम करती है।
  7. आक्रामकता में कमी: प्राणिक साइकोथेरेपी आक्रामकता और नकारात्मक भावनाओं को कम करती है।

प्राणिक साइकोथेरेपी के उपयोग के उपकरण

प्राणिक साइकोथेरेपी में उपयोग होने वाले उपकरण निम्नलिखित हैं:

  1. प्राण: प्राणिक साइकोथेरेपी में प्राण का उपयोग मुख्य रूप से किया जाता है। प्राण, जीवनी शक्ति है जो ऊर्जा शरीर को प्रभावित करती है।
  2. थेरापिस्ट के हाथ: थेरापिस्ट के हाथ ऊर्जा की स्कैनिंग, सफाई और पुनःस्थापना के लिए उपयोग किए जाते हैं।
  3. क्रिस्टल्स: कुछ मामलों में, थेरापिस्ट क्रिस्टल्स का उपयोग ऊर्जा के प्रवाह को सुधारने के लिए करते हैं।
  4. विशेष मंत्र और प्रार्थनाएं: प्राणिक साइकोथेरेपी में कुछ विशेष मंत्र और प्रार्थनाओं का उपयोग किया जाता है जिससे ऊर्जा का प्रवाह संतुलित होता है।

अंत मे

प्राणिक साइकोथेरेपी एक प्रभावी चिकित्सा विधि है जो मानसिक और भावनात्मक समस्याओं का उपचार करती है। यह विधि प्राण के माध्यम से ऊर्जा शरीर को संतुलित करती है और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करती है। प्राणिक साइकोथेरेपी तनाव, चिंता, अवसाद, और अन्य मानसिक विकारों के उपचार में सहायक होती है। यह विधि न केवल मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करती है, बल्कि आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान को भी बढ़ावा देती है।

प्राणिक साइकोथेरेपी की प्रक्रिया में ऊर्जा शरीर की स्कैनिंग, सफाई, और पुनःस्थापना शामिल है। थेरापिस्ट प्राण का उपयोग करके ऊर्जा के प्रवाह को संतुलित करता है और नकारात्मक ऊर्जा को हटाता है। प्राणिक साइकोथेरेपी के लाभ अनेक हैं और यह विधि मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को सुधारने में सहायक होती है।

यदि आप मानसिक और भावनात्मक समस्याओं से ग्रस्त हैं, तो प्राणिक साइकोथेरेपी एक प्रभावी और प्राकृतिक चिकित्सा विधि हो सकती है जो आपके मानसिक स्वास्थ्य में सुधार कर सकती है।