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What is (surya nadi) Pingala nadi?

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सूर्य नाडी

शिव स्वरोदय शास्त्र के अनुसार पिंगला नाड़ी (Pingala Nadi) योग और आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण नाड़ी मानी गई है जो शरीर में ऊर्जा के प्रवाह को नियंत्रित करती है। इसे सूर्य नाड़ी भी कहा जाता है और यह मनुष्य के शरीर मे दाहिने नाक को प्रभावित करती है। दाहिने नाक से श्वास चलने पिंगला नाड़ी प्रभावित होती है और पिंगला नादी का संबंध सूर्य से होने की वजह से ऊर्जा, सक्रियता, और गर्मी को बढाती है।

पिंगला नाड़ी के बारे में:

  1. स्थान: पिंगला नाड़ी दाईं नाक से होकर गुजरती है और रीढ़ की हड्डी के दाईं ओर स्थित होती है।
  2. प्रभाव: यह नाड़ी सक्रियता, ऊर्जावान महसूस करने, और शारीरिक कार्यों को नियंत्रित करने में मदद करती है।
  3. सक्रियता का समय: पिंगला नाड़ी सामान्यतः दिन के समय अधिक सक्रिय होती है।

पिंगला नाड़ी से लाभ:

  1. ऊर्जा का संचार: पिंगला नाड़ी शरीर में ऊर्जा का संचार करती है और आपको ऊर्जावान महसूस कराती है।
  2. सक्रियता में वृद्धि: इससे शारीरिक और मानसिक सक्रियता बढ़ती है।
  3. आत्मविश्वास बढ़ाना: पिंगला नाड़ी का संतुलन आत्मविश्वास को बढ़ाने में मदद करता है।
  4. पाचन में सुधार: यह नाड़ी पाचन शक्ति को बढ़ाती है और अपच की समस्याओं को कम करती है।
  5. मानसिक स्पष्टता: इससे मानसिक स्पष्टता और निर्णय लेने की क्षमता में सुधार होता है।
  6. शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार: शारीरिक स्वास्थ्य और सहनशक्ति को बढ़ाती है।
  7. अधिक ध्यान केंद्रित करना: इससे ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में वृद्धि होती है।
  8. रचनात्मकता में वृद्धि: यह नाड़ी रचनात्मकता और नवीन विचारों को प्रोत्साहित करती है।
  9. उत्साह और जोश: इससे उत्साह और जोश में वृद्धि होती है।
  10. समस्याओं का समाधान: समस्याओं का समाधान करने की क्षमता को बढ़ाती है।
  11. आत्मिक शक्ति में वृद्धि: पिंगला नाड़ी आत्मिक शक्ति और धैर्य को बढ़ाती है।
  12. स्वास्थ्य में संतुलन: यह नाड़ी शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित करती है।

पिंगला नाड़ी को चैतन्य करने की विधि:

  1. सूर्य भेदन प्राणायाम: इस प्राणायाम में केवल दाईं नाक से श्वास लेना और बाईं नाक से श्वास छोड़ना शामिल है। इसे दिन में करें, खासकर सुबह के समय।
  2. नाड़ी शोधन प्राणायाम: यह प्राणायाम नाड़ियों को शुद्ध और संतुलित करता है। इसे नियमित रूप से करें।
  3. सूर्य नमस्कार: सूर्य नमस्कार का अभ्यास पिंगला नाड़ी को सक्रिय करने में मदद करता है।
  4. ध्यान: ध्यान और मेडिटेशन करने से मानसिक स्पष्टता और सक्रियता बढ़ती है।
  5. शारीरिक व्यायाम: नियमित शारीरिक व्यायाम और योगासन पिंगला नाड़ी को संतुलित करते हैं।
  6. सूर्य का ध्यान: सुबह सूर्योदय के समय सूर्य का ध्यान और प्रार्थना करें।
  7. स्वस्थ आहार: ऊर्जावान और पोषणयुक्त आहार का सेवन करें।
  8. उत्तम दिनचर्या: एक स्वस्थ और नियमित दिनचर्या का पालन करें।
  9. प्राकृतिक प्रकाश: दिन के समय प्राकृतिक प्रकाश में समय बिताएं।
  10. सकारात्मक सोच: सकारात्मक सोच और दृष्टिकोण को अपनाएं।
  11. प्रकृति के साथ समय बिताएं: प्रकृति के साथ समय बिताने से नाड़ी संतुलित होती है।
  12. स्वयं के साथ समय बिताएं: आत्मविश्लेषण और आत्मा से जुड़ने के लिए समय निकालें।

पिंगला नाड़ी को संतुलित और सक्रिय रखने से आप शारीरिक और मानसिक रूप से ऊर्जावान और सक्रिय रह सकते हैं। नियमित अभ्यास और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से आप पिंगला नाड़ी के सभी लाभ प्राप्त कर सकते हैं।