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Sahastrar chakra for spiritual growth

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सहस्त्रार चक्र-अध्यात्मिक शक्तियो को बढाने वाली

सहस्त्रार चक्र, जिसे भौतिक शरीर का सबसे उच्च चक्र माना जाता है, मुख्य रूप से योग और तांत्रिक शास्त्रों में महत्वपूर्ण है। ये ब्रह्म कमल या क्राउन चक्र के नाम से भी जाना जाता है। ये मनुष्य मे राजसिक उर्जा को बढाता है। ये सहस्रदल या हजार पंखुडियों द्वारा बना कमल माना जाता है। यह चक्र मानव शरीर की ऊर्जा केंद्र होता है और योगी या साधक इसे जागरूक करने का प्रयास करते हैं।

सहस्त्रार चक्र के लाभ:

  1. आध्यात्मिक विकास: सहस्त्रार चक्र की सकारात्मक सक्रियकरण से आध्यात्मिक विकास होता है। यह चक्र आत्मा का संबंध ब्रह्मांड से स्थापित करता है।
  2. समरसता: इस चक्र के सकारात्मक सक्रियकरण से मानसिक और भावनात्मक समरसता मिलती है। यह विभिन्न भावनाओं को संतुलित करता है।
  3. ऊर्जा का संचार: सहस्त्रार चक्र से ऊर्जा का संचार होता है, जिससे शरीर और मस्तिष्क की ऊर्जा संतुलित रहती है।
  4. स्वास्थ्य: इस चक्र के सकारात्मक सक्रियकरण से शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है और रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।
  5. आत्म-समर्पण: सहस्त्रार चक्र के जागरण से आत्मशाक्षात्कार होता है और व्यक्ति का आत्म-विश्वास बढ़ता है।

सहस्त्रार चक्र का अध्यात्मिक महत्व:
सहस्त्रार चक्र अध्यात्मिक उन्नति का एक महत्वपूर्ण साधन है। इस चक्र के जागरूक होने से व्यक्ति को अपने सामर्थ्यों और संभावनाओं का सही ज्ञान होता है और वह अपने जीवन को सही दिशा में ले जाता है। यह चक्र आत्मा की मोक्ष की ओर प्रेरित करता है और उसे अध्यात्मिक अनुभव की गहराईयों तक ले जाता है। इसे जागरूक करने के लिए योग और ध्यान का प्रयास किया जाता है जिससे व्यक्ति अपने अंतर्मन को जानने और समझने में सक्षम होता है।