Home Shiva Svarodaya What is Ida nadi (Chandra nadi)?

What is Ida nadi (Chandra nadi)?

516

चंद्र नाडी क्या है?

शिव स्वरोदय शास्त्र मे चंद्र नाड़ी (Chandra Nadi) को शरीर का तापमान कम करने वाली नाडी मानी जाती है। यह नाड़ी हमारे शरीर में स्थित 72,000 नाड़ियों में से एक है और इसे बाईं नाड़ी या इड़ा नाड़ी या चंद्र नाडी के रूप में भी जाना जाता है। चंद्र नाड़ी का संबंध चंद्रमा से है और इसे शीतलता, शांति, और मानसिक स्थिरता प्रदान करने वाला माना जाता है।

चंद्र नाड़ी के बारे में:

  1. स्थान: चंद्र नाड़ी बाईं नाक से होकर गुजरती है और रीढ़ की हड्डी के बाईं ओर स्थित होती है।
  2. प्रभाव: यह नाड़ी मानसिक और भावनात्मक शांति, शीतलता, और सहजता का प्रतिनिधित्व करती है।
  3. सक्रियता का समय: चंद्र नाड़ी सामान्यतः रात्रि के समय अधिक सक्रिय होती है।

चंद्र नाड़ी के लाभ:

  1. मानसिक शांति: चंद्र नाड़ी की सक्रियता मानसिक शांति और स्थिरता को बढ़ाती है।
  2. तनाव कम करना: इससे मानसिक तनाव और चिंता को कम करने में मदद मिलती है।
  3. शीतलता: यह शरीर और मन में शीतलता और शांति लाती है।
  4. संतुलन: चंद्र नाड़ी का संतुलन रखने से भावनात्मक संतुलन बना रहता है।
  5. ध्यान में सहायता: ध्यान और मेडिटेशन में चंद्र नाड़ी की सक्रियता से गहरी ध्यान अवस्था प्राप्त होती है।
  6. रचनात्मकता में वृद्धि: इससे रचनात्मकता और कला में रुचि बढ़ती है।
  7. नींद में सुधार: अच्छी और गहरी नींद लाने में मदद करता है।
  8. आत्मिक विकास: आत्मिक और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देता है।
  9. सहजता: इससे सहजता और स्वाभाविकता बढ़ती है।
  10. स्वास्थ्य में सुधार: मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  11. आक्रोश और गुस्से को कम करना: यह नाड़ी गुस्सा और आक्रोश को कम करने में सहायक होती है।
  12. सामाजिक संबंध: इससे व्यक्ति के सामाजिक और पारिवारिक संबंधों में सुधार होता है।

चंद्र नाड़ी को संतुलित करने के लिए कुछ तकनीकें:

  1. नाड़ी शोधन प्राणायाम: यह प्राणायाम नाड़ी को शुद्ध और संतुलित करने में मदद करता है।
  2. चंद्र भेदन प्राणायाम: इस प्राणायाम में केवल बाईं नाक से श्वास लेने पर जोर दिया जाता है।
  3. ध्यान: चंद्र नाड़ी को सक्रिय और संतुलित करने के लिए नियमित ध्यान करें।
  4. शीतल जल सेवन: ठंडा पानी पीने से चंद्र नाड़ी को शीतलता मिलती है।
  5. रात्रि में योग अभ्यास: रात्रि के समय योग और प्राणायाम करने से चंद्र नाड़ी सक्रिय होती है।

चंद्र नाड़ी के लाभ और इसे संतुलित करने की तकनीकें न केवल आपके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार कर सकती हैं, बल्कि आपके अध्यात्मिक और भावनात्मक विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देती हैं।