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What is kundalini dhyan?

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कुंडलिनी ध्यान: अद्वितीय अन्तर्मुखी यात्रा का सबसे उच्च रहस्य

कुंडलिनी शब्द सुनते ही हमारे मन में एक रोमांचक संवेदना उत्पन्न होती है। यह एक अद्वितीय और गहरा अनुभव होता है जो मानव जीवन के अद्वितीय और आध्यात्मिक सिद्धांतों को सांझा करता है। कुंडलिनी ध्यान एक ऐसी विशेष ध्यान विधि है जिसमें शक्ति का उत्तरोत्तर जागरण किया जाता है और इसे जीवन के विभिन्न पहलुओं में व्यक्त किया जाता है। यह ध्यान विधि भारतीय धार्मिक साहित्य, तांत्रिक सिद्धांतों, और योगी दर्शन की विशेषता है जो जीवन को आंतरिक रूप से बदल सकती है।

कुंडलिनी क्या है?

कुंडलिनी शब्द संस्कृत भाषा का है, जिसका अर्थ होता है “गहराई मे बैठी हुई शक्ति को जगाना”। इसे योगशास्त्र में शक्ति का प्रतीक माना जाता है जो हमारे शरीर के मूलाधार चक्र (मूलाधार) में सुप्त अवस्था मे बैठी हुई होती है। यह शक्ति हमारे शरीर में स्थित चक्रों को जागरूक करती है और उसे ऊर्जा के माध्यम को संचालित करती है। कुंडलिनी शक्ति को जगाने का मुख्य उद्देश्य होता है अपने अंदर की शक्तियो को जगाना।

कुंडलिनी ध्यान के लाभ

  1. आत्म-जागरूकता में सुधार: कुंडलिनी ध्यान आत्मा की गहराईयों में प्रवेश करने की क्षमता देता है, जिससे व्यक्ति अपनी आत्मा को और अधिक समझने और अनुभवित कर सकता है।
  2. शारीरिक स्वास्थ्य के लाभ: कुंडलिनी शक्ति के जागरण से शरीर के अंतःस्थलीय अंग और चक्र बल से भर जाते हैं, जिससे शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  3. मानसिक शांति और संतुलन: यह ध्यान विधि मानसिक चिंता को कम करती है और मन को एकाग्र करती है, जिससे मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त होता है।
  4. स्वयं का अध्ययन: कुंडलिनी ध्यान व्यक्ति को उसकी अंतरात्मा के साथ संवाद करने का अवसर देता है, जिससे उसे अपने स्वयं को और अधिक जानने का मार्ग प्राप्त होता है।
  5. आत्म-समर्पण और आत्म-समर्पण: इस ध्यान के माध्यम से व्यक्ति अपनी आत्मा को ईश्वर के समक्ष समर्पित करने में समर्थ होता है, जिससे उसकी आत्मा में शांति और समृद्धि आती है।

कुंडलिनी ध्यान की प्रक्रिया

कुंडलिनी ध्यान की प्रक्रिया विशेष और गहरी होती है। इसमें कुंडलिनी शक्ति को जगाने के लिए विशेष उपाय किए जाते हैं, जिनमें अभ्यास, प्राणायाम, आसन, और मंत्रों का उच्चारण शामिल होता है। यह प्रक्रिया सावधानीपूर्वक और अनुशासन के साथ की जाती है ताकि कुंडलिनी शक्ति के जागरण में किसी भी प्रकार की समस्या न हो।

प्रारंभिक स्तर:

  • आसन: कुंडलिनी ध्यान की प्रारंभिक धारा आसनों के माध्यम से होती है, जैसे कि भ्रामरी आसन, पद्मासन, विपरीतकरणी, आदि। ये आसन शरीर को समथ्रित करते हैं और व्यक्ति को मानसिक शांति प्रदान करते हैं।
  • प्राणायाम: ध्यान की गहराईयों में प्रवेश के लिए प्राणायाम अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसमें अध्यात्मिक ऊर्जा को शरीर में संतुलित करने के लिए विभिन्न प्राणायाम तकनीकों का उपयोग किया जाता है।

अध्यात्मिक स्तर:

  • मंत्र जप: कुंडलिनी ध्यान में मंत्रों का जप अत्यंत महत्वपूर्ण है। ये मंत्र शक्ति को जगाने और उसे निरंतर ध्यान में लाने में सहायक होते हैं।
  • ध्यान: ध्यान के माध्यम से कुंडलिनी शक्ति को जागृत किया जाता है और उसे शरीर के विभिन्न चक्रों में समायोजित किया जाता है। यह अद्वितीय और आनंदमयी अनुभव का माध्यम होता है जो व्यक्ति को अपने असीमित प्राकृतिक पोटेंशियल के साथ जोड़ता है।

कुंडलिनी ध्यान: प्रश्नोत्तरी

1. कुंडलिनी ध्यान क्या है?

कुंडलिनी ध्यान एक आध्यात्मिक प्रवृत्ति है जिसमें कुंडलिनी शक्ति को जगाने का प्रयास किया जाता है। यह ध्यान प्रक्रिया है जिसमें ऊर्जा को शरीर के चक्रों में शांतिपूर्ण रूप से प्रवाहित किया जाता है।

2. कुंडलिनी शक्ति क्या होती है?

कुंडलिनी शक्ति एक अंतःस्थलीय ऊर्जा होती है जो मूलाधार चक्र से जुड़ी होती है और शरीर में प्राणिक ऊर्जा के रूप में प्रवाहित होती है। इसे जगाने से मानव जीवन में आत्मिक और शारीरिक उन्नति होती है।

3. कुंडलिनी ध्यान के क्या लाभ होते हैं?

कुंडलिनी ध्यान करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, आत्मा का विकास होता है, मानसिक चिंता कम होती है और व्यक्ति में आत्मा की उच्च स्थिति का अनुभव होता है।

4. क्या कुंडलिनी ध्यान सुरक्षित है?

हां, कुंडलिनी ध्यान सुरक्षित हो सकता है, लेकिन इसे गहरी समझ और अनुशासन से करना चाहिए। यह ध्यान विधि अनुभवी गुरु के मार्गदर्शन में करनी चाहिए।

5. कुंडलिनी ध्यान की साधना कैसे करें?

कुंडलिनी ध्यान की साधना करने के लिए शरीर के विभिन्न आसन, प्राणायाम, मंत्र जप, और ध्यान का अभ्यास किया जाता है। इसके लिए ध्यान के विशेष तकनीकों को अभ्यास करना पड़ता है।

6. क्या कुंडलिनी ध्यान से विशेष धर्मिक अनुभव होता है?

हां, कुंडलिनी ध्यान से व्यक्ति को अनुभव में आने वाले विशेष धार्मिक अनुभूतियाँ होती हैं, जो उसे आत्मा के सम्पूर्णता के प्रति उन्नति दिलाती हैं।

7. क्या हैं कुंडलिनी ध्यान के उपाय?

कुंडलिनी ध्यान के उपाय में अभ्यास, समर्पण, और गुरु के मार्गदर्शन का महत्वपूर्ण स्थान होता है। इसे नियमित और स्थिरता के साथ किया जाना चाहिए।

अंत मे

कुंडलिनी ध्यान एक अद्वितीय ध्यान प्रणाली है जो व्यक्ति को अपने आत्मा के सच्चे स्वरूप और जीवन के अद्वितीय रहस्यों के साथ मिलाती है। इसे नियमित अभ्यास और गुरु के मार्गदर्शन में करना चाहिए ताकि यह अनुभव सुरक्षित और प्रभावी हो सके। यह ध्यान विधि व्यक्ति को अंतःस्थलीय शांति, संतुलन, और आनंद का अनुभव कराती है, जो उसे जीवन में समृद्धि और आत्म-समर्पण की अनुभूति कराती है।